दुनिया सभ्यताओं जैसे ग्रीक, रोमन और मिस्त्र ने उदय और पतन देखा। भारतीय सभ्यता और संस्कृति इससे अछूती रही। इस देश पर एक के बाद एक कई आक्रमण हुए, कई साम्राज्य आए और अलग अलग हिस्सों पर शासन किया, लेकिन भारतवर्ष की अदम्य आत्मा पराजित नहीं हुई। आज भारत दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और सबसे जीवंत गणराज्य के तौर पर विश्व में देखा जाता है। यह एक उभरती हुई वैश्विक महाशक्ति और दक्षिण एशिया का एक प्रभावशाली देश है।
जब ब्रिटिश लोग भारत पर राज कर रहे थे तो इसका आर्थिक लाभ ब्रिटेन को हो रहा था। भारत में सस्ते दामो में कच्चे काम का उत्पादन किया जाता था और उन्हें विदेशो में भेजा जाता था। उस समय भारतीयों को भी ब्रिटिशो द्वारा बनायी गयी चीजो का ही उपयोग पड़ता था।
उपाटिस्सा नुवारा का साम्राज्य (५०५–३७७ ई.पू.)
भारत में प्रागैतिहासिक संस्कृतियाँ : मध्यपाषाण काल और नवपाषाण काल
तालीकोटा की लड़ाई या राक्षस-तांगड़ी की लड़ाई। विजयनगर साम्राज्य के पतन को चिह्नित किया
ब्राह्मण ग्रंथ : वैदिक मंत्रों तथा संहिताओं की गद्य-टीकाओं को ब्राह्मण कहा जाता है। सभी वेदों के अलग-अलग ब्राह्मण ग्रंथ हैं। इन ब्राह्मण ग्रंथों से उत्तर वैदिककालीन आर्यों के विस्तार और उनके धार्मिक विश्वासों का ज्ञान होता है। प्राचीन ब्राह्मणों में ऐतरेय, शतपथ, पंचविश, तैत्तरीय आदि विशेष महत्त्वपूर्ण हैं। ऐतरेय ब्राह्मण से राज्याभिषेक तथा अभिषिक्त नृपतियों के नामों की जानकारी मिलती है तो शतपथ ब्राह्मण गांधार, शाल्य, केकय, कुरु, पांचाल, कोशल तथा विदेह के संबंध में महत्त्वपूर्ण सूचनाएँ देता है।
नन्द-मौर्य युगीन भारत (गूगल पुस्तक ; लेखक - नीलकान्त शास्त्री)
सांस्कृतिक दृष्टि से भी इस काल के दो भाग किए जाते हैं। एक प्राकवेद काल, उनतालीसवें more info प्रजापति तक एवम दूसरा वेदोदय काल। भूमि का बंटवारा, महाजल प्रलय, भूसंस्कार, कृषि, राज्य स्थापना, वेदोदय तथा भारत और पर्शिया में भरतों की विजय इस काल की बड़ी सांस्कृतिक और राजनैतिक घटनाएं है। वेदोदय चाक्षुष मन्वन्तर की सबसे बड़ी सांस्कृतिक घटना है।
अकबर का मकबरा आगरा के पास सिकंदरा में जहाँगीर ने बनवाया था।
लॉर्ड हार्डिंग ने गवर्नर-जनरल के रूप में कार्य किया
प्रारंभिक मध्यकालीन भारत के प्रमुख राजवंश इस प्रकार हैं-
पतंजलि का ‘महाभाष्य’ और कालीदासकृत ‘मालविकाग्निमित्र’ शुंगकालीन इतिहास के प्रमुख स्रोत हैं। मालविकाग्निमित्र में कालिदास ने पुष्यमित्र शुंग के पुत्र अग्निमित्र तथा विदर्भराज की राजकुमारी मालविका की प्रेमकथा का उल्लेख किया है। ज्योतिष ग्रंथ ‘गार्गी संहिता’ में यवनों के आक्रमण का उल्लेख है। कालीदास के ‘रघुवंश’ में संभवतः समुद्रगुप्त के विजय-अभियानों का वर्णन है। सोमदेव के ‘कथासरित्सागर’ और क्षेमेंद्र के ‘बृहत्कथामंजरी’ में राजा विक्रमादित्य की कुछ परंपराओं का उल्लेख है। शूद्रक के ‘मृच्छकटिक’ नाटक और दंडी के ‘दशकुमार चरित’ में भी तत्कालीन समाज का चित्रण मिलता है।
मुहम्मद बिन तुगलक – इतिहास ने जिसे पागल घोषित कर दिया!
चित्रकला से भी प्राचीन भारत के जन-जीवन की जानकारी मिलती है। अजन्ता के चित्रों में मानवीय भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति है। ‘माता और शिशु’ या ‘मरणशील राजकुमारी’ जैसे चित्रों से बौद्ध चित्रकला की कलात्मक पराकाष्ठा का प्रमाण मिलता है। एलोरा गुफाओं के चित्र एवं बाघ की गुफाएँ भी चित्रकला की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं।